भगवा की ताकत क्या है भगवा चोल पहन
पवनपुत्र लंका में आग लगाये थे. भगवा तिलक लगा काली ने दुस्त्र यमलोक
पहुचाये थे. भगवा झंडा लिए पुरु ने सिकंदर को रोक था. भगवा की खातिर सांगा
ने बाबर को जा घेर था. भगवा झंडा लिए ही रांणा हल्दी घटी कूदे थे. भगवा की
खातिर ही यहाँ पे वीर शिवाजी जूझे थे. भगवा झंडा लिए ही रानी अग्रजो पे
टूटी थी, आजादी की पहली जंग की अमर गाथा बन बैठी थी. भगवा चोला पहन
विवेकानन्द अमरीका में गूंजे थे, दुनिया की बुद्धिमानो ने पैर उन्ही की
पूजे थे. भगवा झंडे ने ही हमको स्वराज का मान दिया और भगवा झंडे ने ही यहाँ
आज़ादी का सम्मान दिया.
यह
हिन्दुओं के महान प्रतीकों में से एक है. यह त्याग, बलिदान, ज्ञान,
शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है. यह हिंदुस्थानी संस्कृति का शास्वत
सर्वमान्य प्रतीक है. हजारों हजारों सालों से भारत के शूरवीरों ने इसी भगवा
ध्वज की छाया में लड़कर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर किये. जब
व्यक्ति सन्यास लेता है तो चिन्ह के रूप में भगवा धारण करता है, क्यो कि
भगवा त्याग का प्रतीक है. शूरवीर इसी भगवे को धारण कर राष्ट्र व धर्म रक्षा
के लिए अपने प्राणो का त्याग कर देते है, भगवा शौर्य का प्रतीक है. जहाँ धर्म है , जहाँ त्याग है, जहाँ शौर्य है , जहाँ तेज है, जहाँ सत्य है , वहाँ-वहाँ भगवा है, संकेत के रूप में , चिन्ह के रूप में.
No comments:
Post a comment