दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन और मोहर्रम एक साथ न होने देने के पश्चिम बंगाल सरकार
के फ़ैसले पर हाइकोर्ट ने नाराज़गी दिखाते हुए इसे खारिज कर दिया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे मनमाने आदेश नहीं दिए जा सकते. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले गुरुवार को कहा कि सरकार लोगों
की आस्था में दखल नहीं दे सकती है. बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल
बिल्कुल गलत है. अदालत ने कहा, 'सरकार के पास अधिकार है, लेकिन असीमित नहीं
है. बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल गलत है. आखिरी विकल्प का फैसला
सबसे बाद में करना चाहिए. हाइकोर्ट ने राज्य की ममता सरकार के खिलाफ
सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आप दो समुदायों के बीच दरार क्यों पैदा
कर रहे हैं. दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं
बनी है उन्हें साथ रहने दीजिए.
उल्लेखनीय है
कि इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है.
इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिमा विसर्जन की तारीख बढ़ाने
का फ़ैसला किया था. इस बार दुर्गा पूजा और मुहर्रम एक ही दिन 1 अक्टूबर को पड़
रहे हैं. पश्चिम बंगाल सरकार ने फैसला लिया कि मुहर्रम के दिन को छोड़कर 2,
3 और 4 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है. इसी के विरोध में एक वकील अमरजीत रायचौधरी ने हाईकोर्ट
में याचिका दायर की थी.
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