दुनिया में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए
पहचाने जाने वाले भारतीय बासमती चावल को लेकर बड़ा फैसला हुआ है. खराब
क्वालिटी के कारण विदेशों से सप्लाई लौटने पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
(आईसीएआर) ने 22 राज्यों में बासमती की खेती पर पाबंदी लगा दी है. अब सिर्फ
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और
जम्मू कश्मीर में ही बासमती धान की खेती होगी. सबसे ज्यादा उत्पादन लक्ष्य
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और पंजाब को दिया गया है. खेती के लिए नए किसानों को चिह्नित करने
का फैसला हुआ है, जिन्हें प्रशिक्षित कर काबिल बनाया जाएगा. कृषि वैज्ञानिक
बासमती धान की खेती में बीज, सिंचाई और उवर्रक डालने तक में प्रशिक्षित
करने के साथ ही फसल के दौरान मदद करेंगे.
कृषि
एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से भारतीय
बासमती का निर्यात ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी,
नीदरलैंड्स, स्वीडन, इंग्लैंड, डेनमार्क, पोलैंड, पुर्तगाल और स्पेन में
सबसे ज्यादा होता है. कुल मिलाकर लगभग सौ देशों को बासमती का निर्यात किया
जाता है. कुछ
वर्षों में लगातार रासायनिक खाद के उपयोग से बासमती की क्वालिटी पर खासा
प्रभाव पड़ा. बीज भी दोयम दर्जे का डाला गया. इसी के साथ खुशबू और स्वाद
में भी कमी आई. सप्लाई लेने वाले देशों ने जब बासमती की जांच कराई तो उसे
अपने मानकों पर जहरीला माना. बरेली के कारोबारियों की सप्लाई पिछले कुछ
महीने पहले लौटा दी गई.
अनुसंधान परिषद ने आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, त्रिपुरा, नगालैंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, मेघालय, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, तेलंगाना पर रोक लगाई है. इन सभी राज्यों में पहले बासमती की खेती होती थी. अब सिर्फ सात राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में बासमती की खेती होगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. टी. महापात्रा का कहना है कि इन सात राज्यों की कृषि भूमि बासमती के लिए बेहतर है. अब यहां ही बीज उत्पादन करने के साथ ही खेती की जाएगी।
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