राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग
(राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में
नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) विधेयक, 2017 गुरुवार को ध्वनिमत से पारित
कर दिया. विधेयक के पारित होने के बाद राज्य में ओबीसी का आरक्षण इक्कीस प्रतिशत से बढ़कर छब्बीस प्रतिशत हो जाएगा. विधेयक के पारित होने से ओबीसी का आरक्षण 26 प्रतिशत होने से कुल आरक्षण बढ़कर 54 प्रतिशत हो जाएगा. इस
विधेयक के पारित होने से गुर्जरों सहित पांच जातियों को ओबीसी में पांच
प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है. विधेयक के पारित होने के बाद
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए रथगित कर दी गई.
राज्य की वसुंधरा राजे सरकार ने गुर्जर समेत 5 जातियों को अलग से आरक्षण
देने के लिए विधानसभा में यह बिल पारित कराया है. अभी तक राज्य में ओबीसी
आरक्षण की सीमा 21 फीसदी थी. बिल पर राज्यपाल के दस्तखत होने के बाद आरक्षण
की नई व्यवस्था अमल में आएगी. नए बिल में ओबीसी आरक्षण को दो कैटिगरी में बांटा गया है. पहली कैटिगरी में
पहले की तरह 21 फीसदी आरक्षण है, जबकि दूसरी कैटिगरी में गुर्जर और बंजारा
समेत 5 जातियों के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. इसके साथ ही राज्य में एससी (अनुसूचित जाति) को 16 फीसदी, एसटी (अनुसूचित
जनजाति) को 12 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. नई व्यवस्था में राज्य में कुल
आरक्षण 54 फीसदी हो जाएगा।
हालांकि इसे अदालत में चुनौती दिए जाने के
भी आसार हैं. पहले भी कई बार ऐसा बिल खारिज हो चुका है. राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी
केस का हवाला देते हुए दलील दी थी कि राज्य की आधी से ज्यादा आबादी अन्य
पिछड़ी जातियों की है. ऐसी विशेष परिस्थिति में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा
हो सकता है. लंबे अरसे से राजस्थान का गुर्जर समाज आरक्षण के लिए आंदोलनरत
है. कई बार इस आंदोलन ने हिंसक रूप अख्तियार किया है. करीब एक दशक से
गुर्जर समाज आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में आंदोलन कर रहा है.
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