दुनिया भर में 11 अक्टूबर, 2017 को 6वां अंतर्राष्ट्रीय बालिका
दिवस मनाया गया. आपको बता दें कि 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने
निर्णय लिया था कि हर साल 11 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप
में मनाया जाएगा. इस दिन की शुरुआत बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा
करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के मकसद से की गई है.
इस दिवस को पहली बार साल 2012 में मनाया गया था. दुनिया में आबादी सात अरब है, जिसकी आधी आबादी महिलाओं की है और उसमें
भी 1.1 अरब संख्या लड़कियों की है.
लड़कियों ने आज हर क्षेत्र में सफलता पाई है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है,
जहां उन्होंने अपने कदम न रखें हों, लेकिन इसके बाद भी लड़कियों को अपने
अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
आंकड़ों की बात करें तो
पूरी दुनिया में 75 करोड़ ऐसी लड़कियां हैं, जिनकी शादी 18 साल की उम्र से
पहले ही कर दी गई है. गरीब देशों में 3 में से एक 1 लड़की की शादी 18 से कम
उम्र में ही कर दी जाती है. अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर भारत
की बात करें तो बच्चों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था सेव द
चिल्ड्रन के मुताबिक शहरी इलाकों में हर 100 में से सिर्फ 14 लड़कियां
12वीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाती हैं. भारत के गांवों के बारे में बात
करें तो यहां 100 में से सिर्फ एक लड़की 12वीं कक्षा तक पढ़ पाती है. देश
में सिर्फ 33% लड़कियां ही 12वीं कक्षा तक पढ़ पाती हैं. यूनिसेफ
की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल विवाह
बांग्लादेश में होते हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है. भारत
के झारखंड राज्य में करीब 72 लाख ऐसी लड़कियां हैं, जिनकी उम्र 18 साल से
कम है. चौंकाने वाली बात ये है कि बाल-विवाह के मामले में झारखंड देश का
तीसरा राज्य है, जबकि पहला पश्चिम बंगाल और दूसरा बिहार है.
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