भारत की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की जमकर आलोचना हो रही है. मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर देश में जारी राजनीतिक हंगामे के बीच वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम
ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इसमें भारत को 137 देशों की सूची में 40वीं
रैंक दी गई है. भारत ने रैंकिंग में तेज़ छलांग लगाई है. तीन साल पहले भारत
यहां 71वें नंबर पर था. इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018
में भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर हासिल
कर सकता है, जबकि चीन की विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इंटरनेशनल
मोनेटरी फंड ने कहा है कि जरूरी आर्थिक सुधारों से भारत की आर्थिक ग्रोथ
में जोरदार तेजी आएगी.
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की रिपोर्ट मोदी के आलोचकों की सोच से बिल्कुल
अलग है. वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने कुछ अच्छे क़दम उठाए हैं, जिनसे भारत को अपनी रैंक सुधारने
में मदद मिली है. हालांकि आईएमएफ ने साल 2017 के लिए भारत की अनुमानित
विकास दर घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दी है. रिपोर्ट के अनुसार भारत के 'घरेलू मार्केट का एकीकरण' करने वाले जीएसटी जैसे सुधारों से
विकास दर में बाद में तेजी आएगी और ये 8 प्रतिशत को पार कर जाएगी. आईएमएफ को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार रिफॉर्म की गाड़ी को और तेजी करेगी. साथ ही, बिजनेस के लिए माकूल माहौल बनाने के लिए श्रम सुधार और भूमि सुधार कानूनों को भी लागू किया जाएगा.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के आधारभूत ढांचे में सुधार, शिक्षा
और प्रशिक्षण में बेहतरी, तकनीकी तैयारी, स्कूलों में इंटरनेट का प्रसार और
सार्वजनिक खर्चों में निपुणता के कारण भारत को 137 देशों की सूची में
अच्छे अंक मिले हैं. वर्ल्ड बैंक के हाल के संस्करण वैश्विक आर्थिक प्रॉस्पेक्ट्स के मुताबिक प्रदिद्वंद्विता में सुधार के कारण भारत दुनिया की चौथी तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत चीन के मुक़ाबले तेजी से बढ़ा रहा है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा रैंकिंग में भारत ने पिछले
चार सालों में 20 अंक हासिल किए हैं जबकि चीन जहां था लगभग वहीं है. इस
सूची में चीन भले 27वें नंबर पर है लेकिन उसकी रैंक स्थिर है. 2017
में उम्मीद की जा रही है कि भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फ़ीसदी की दर से आगे
बढ़ेगी और चीन की 6.9 फ़ीसदी की आर्थिक वृद्धि दर को पीछे छोड़ देगी.
रिपोर्ट
के मुताबिक भारत ने संसाधानों के इस्तेमाल के तौर पर निचले स्तर से शुरुआत
की थी. ऐसे में भारत संसाधनों के सही इस्तेमाल और तकनीक के ज़रिए अपनी
उत्पादकता को सुधार सकता है. दूसरी तरफ़ चीन ने संसाधनों के उच्च स्तरीय इस्तेमाल से शुरुआत की थी. इस रैंक में स्विटज़रलैंड पहले, अमरीका दूसरे और सिंगापुर तीसरे नंबर पर है. पाकिस्तान इस रैंक में 115वें नंबर पर है. वहीं,
शुक्रवार को यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष ज्यां उंकर ने कहा कि भारत के अलावा
5.7 फ़ीसदी की वृद्धि दर को कोई भी आर्थिक मंदी नहीं कहेगा. उन्होंने कहा
कि यूरोप की अर्थव्यवस्था में जो वृद्धि दर है उसके मुक़ाबले भारत की
वृद्धि दर काफ़ी अच्छी है. उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित इंडिया
यूरोपियन यूनियन बिज़नेस फोरम में कहा कि यूरोप की दो फ़ीसदी आर्थिक वृद्धि
दर के मुक़ाबले 5.7 फ़ीसदी वृद्धि दर काफ़ी अच्छी है.
आईएमएफ ने इससे पहले जुलाई और अप्रैल में अपने अनुमान जारी किये थे. भारत
का आर्थिक विकास दर 2016 में 7.1 प्रतिशत रहा था. हालांकि, ये दर अप्रैल के
6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक रही. 1999 और 2008 के बीच भारत का
औसत विकास दर 6.9 प्रतिशत रहा, उसके बाद 2009 में ये 8.5 प्रतिशत, 2010 में
10.3 प्रतिशत, 2011 में 6.6 प्रतिशत रहा. इसी तरह 2012, 2013, 2014 में विकास दर 5.5 प्रतिशत, 6.4 प्रतिशत, 7.5 प्रतिशत रहा. वहीं, ग्लोबल लेवल पर आईएमएफ ने विकास दर 2017 और 2018 में क्रमश: 3.6 प्रतिशत, 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
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