दुनिया के मछुआरा लोक समुदाय द्वारा 21 नवंबर 2017 को विश्व मत्स्य दिवस मनाया गया. इस वर्ष का विषय है – “2022 का है सपना...किसान की आय हो दुगुना – संकल्प से सिद्धि”. भारत में, विश्व मात्स्यिकी दिवस का आयोजन लगातार चार वर्षों से आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष पशुपालन, डेयरी एवं मात्स्यिकी विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार 21 नवम्बर 2017 को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र (एन.ए.एस.सी.) काम्प्लेक्स, पूसा रोड, नई दिल्ली में इसका आयोजन किया जा रहा है.
इस दिन को पर्याप्त मछली उत्पादन सुनिश्चित करने और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के निमार्ण के लिए मनाया जाता है. यह दिवस व्यापक स्तर पर मनाने से मछली पालन और उससे जुड़ी समस्यायें उभर कर सामने आतीं हैं. इससे दीर्घकालीन मछली उत्पादन भी सुनिश्चित होता है. मछली उत्पादन से जुड़े समुदायों द्वारा रैलियों, जन-सभाओं, सांस्कृतिक कार्यकमों, प्रदर्शनियों, संगीत कार्यक्रमों के द्वारा वैश्विक स्तर पर इस काम के महत्व की चर्चा की जाती है.
इस अवसर पर मौजूदा केंद्र सरकार ने मछली के उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने के लिए नीली क्रांति कार्यक्रम शुरु करने की घोषणा की. भारत में मछली पकड़ने की 2 लाख नौकाएं हैं. तालाब में आवश्यकता से अधिक जलीय पौधों का होना मछली की अच्छी उपज के लिए हानिकारक है. यह पौधे पानी का बहुत बड़ा भाग घेरे रहते हैं जिसमें मछली के घूमने-फिरने में असुविधा होती है. साथ ही यह सूर्य की किरणों को पानी के अन्दर पहुंचने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं.
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