अमेरिकी
भू-वैज्ञानिकों के अनुसंधान के मुताबिक रामेश्वरम के पम्बन द्वीप से
श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच 50 किलोमीटर लंबी श्रृंखला मानव निर्मित
है. राम सेतु को एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है. इंस चैनल पर चल रहे इस प्रोमो
को 24 घंटे के अंदर 11 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. साइंस चैनल के ट्रेलर के मुताबिक
इंडियाना यूनिवर्सिटी नॉर्थवेस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर और सदर्न
ऑरेगान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया है कि राम सेतु
मानव निर्मित है. प्रोमो में एक वक्ता को यह कहते हुए सुना जा सकता है -
सैंड बार प्राकृतिक हो सकते हैं लेकिन उनके ऊपर रखे पत्थरों को कहीं दूर से
लाकर किसी ने रखा है. ये चट्टानें 7000 साल पुरानी हैं, जबकि सैंड बार
केवल 4000 साल पुराने. इस समय को ही रामायण काल माना जाता है. ये अजीब है
कि बालू के ऊपर रखी चट्टानें बालू से ज्यादा पुरानी हैं, जिसकी वजह से इस
रिसर्च में ट्विस्ट आ गया है.
श्रीलंका
के मन्नार द्वीप से भारत के रामेश्वरम तक चट्टानों की जिस चेन को रामसेतु
कहा जाता है, इसे एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) नाम से भी जाना जाता है. यह
श्रृंखला मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य को अलग करती है. समुद्र में
इन चट्टानों की गहराई सिर्फ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है. कहा जाता है
कि 15वीं शताब्दी में इस ढांचे के जरिये रामेश्वरम से मन्नार तक जाया जा
सकता था. लेकिन, तूफानों ने समुद्र को कुछ और गहरा किया और 1480 में यह
चक्रवात के चलते टूट गया. नासा का कहना है कि इमेज हमारे हैं लेकिन यह
विश्लेषण हमने नहीं दिया. रिमोट इमेज से नहीं कहा जा सकता कि यह
मानवनिर्मित पुल है. वहीं नासा ने कहा कि वैज्ञानिकों की ली तस्वीरें यह
साबित नहीं करतीं कि रामायण में वर्णित भगवान राम द्वारा निर्मित रामसेतु
का अस्तित्व रहा है.
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