आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त हो गई है. लाभ के पद का विवाद खड़ा होने के बाद चुनाव आयोग ने आप
के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को सौंपी थी.
राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है. आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने
को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग की अनुशंसा आने के बाद राष्ट्रपति से मिलने
की अनुमति मांगी थी. पार्टी का आरोप था कि बिना विधायकों का पक्ष सुने
चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है. हालांकि इस मुलाकात से पहले ही
राष्ट्रपति ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने को अपनी मंजूरी दे दी.
मार्च 2015 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय
सचिव बनाया था. इस पर एक प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति को
याचिका भेजकर लाभ का पद बताते हुए इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की
मांग की थी. राष्ट्रपति द्वारा यह मामला चुनाव आयोग में भेजा गया जहां उन्होंने
मार्च 2016 में इन विधायकों को नोटिस भेजकर इस मामले की सुनवाई शुरू की. इसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से
निकालने के लिए दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट 1997 में
संशोधन करने का प्रयास किया लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली. इसके बाद से इन विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए. चुनाव आयोग सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाबों से संतुष्ट
नहीं है. ऐसे में राष्टपति के पास इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की
सिफारिश की गई है. इन 21 विधायकों में से एक जरनैल सिंह (विधायक राजौरी गार्डन) विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं. दरअसल दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 होना चाहिए
लेकिन वर्तमान में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं. ऐसे में अगर 20
विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई तो भी दिल्ली सरकार के पास बहुमत के
आंकड़े से 10 सीट ज्यादा होंगी. हालांकि इन 20 सीटों पर चुनाव आयोग दोबारा
चुनाव कराएगा.
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