भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर ओम प्रकाश रावत ने अपना कार्यभार
संभाल लिया। बता दें कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ए. के. ज्योति अपने
पद से रिटायर हो चुके हैं. इन्हीं के स्थान पर अगले मुख्य चुनाव आयुक्त के
तौर पर ओपी रावत को नियुक्त किया गया था जिसके बाद 23 जनवरी को ओपी रावत
इस पद पर आसीन होने वाले थे. रावत का कार्यकाल इस साल दिसंबर तक समाप्त हो
जाएगा. इसके पहले उन्हें अगस्त 2015 में चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. 2 दिसंबर 1953 को जन्मे रावत मध्यप्रदेश के पूर्व आईएएस कैडर ऑफिसर रह चुके
हैं. बता दें कि तीन सदस्यीय चुनाव निकाय में सुनील अरोरा अन्य चुनाव
आयुक्त होंगे. पूर्व वित्तीय सचिव अशोक लवासा को रविवार को चुनाव आयुक्त के
पद पर नियुक्त किया गया था. मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में रावत का पहला काम अगले महीने त्रिपुरा,
मेघालय और नागालैंड में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना होगा.
2 दिसंबर 1953 को जन्मे ओपी रावत मप्र कैडर से 1977 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. रावत ने मप्र में विभिन्न अहम पदों पर काम किया है. वह इंदौर (1986-88) और नरसिंहपुर (1983-86) जिलों के कलेक्टर रहे हैं. वह वर्ष 2004-2006 के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के प्रमुख सचिव भी रहे. वह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे चुके है. केंद्र में रावत ने वर्ष 1993 में रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में काम किया. इसके अलावा
वह रक्षा मंत्रालय में भी निदेशक के रूप में कार्य कर चुके हैं. अपने
कार्यकाल के दौरान उन्हें 1994 में हुए संयुक्त राष्ट्र चुनाव के दौरान
दक्षिण अफ्रीका में एक ऑब्जर्वर के रूप में प्रतिनियुक्ति मिली थी. साथ ही भारी उद्योग मंत्रालय में सार्वजनिक उद्यम विभाग में सचिव भी रहे. रावत देशभर में चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने की दिशा में चलाए जा रहे जागरकता अभियान के लिए पहचाने जाते हैं. उनका कहना है भारत जैसे विशाल देश में
हर मतदाता को चुनाव प्रक्रिया से जोड़ना और मतदान में उनकी भागीदारी
सुनिश्चित करना हमारी पहली प्राथमिकता है.
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