भारत और वियतनाम की सेनाओं ने सोमवार को मध्यप्रदेश के जबलपुर में संयुक्त
सैन्याभ्यास में हिस्सा लिया. सोमवार से शुरू हुआ यह सैन्याभ्यास छह दिनों
तक चलेगा. यह दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का परिचायक है. यह दोनों देशों के बीच होने वाला
पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास है. इस अभ्यास को विनबैक्स नाम दिया गया है.
भारत और वियतनाम रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के तौर तरीकों पर काम कर रहे
हैं. यह साझा सैन्य युद्ध अभ्यास बिना हथियारों के हो रहा है. दरअसल,
भारत के पास संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में काम करने का लंबा अनुभव है और
वियतनाम की सेना भी इस दल में शामिल होना चाहती है. वहीं, वियतनाम के साथ
इस साझा सैन्य अभ्यास (वीनबैक्स-2018) से भारत की सेना को भी लंबे समय तक
बड़े देश की सेनाओं से लड़ने का रणनीतिक अनुभव मिल सकेगा. भारत का वियतनाम के
साथ यह पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास है.
ये
अभ्यास पूरी तरह से रणनीति पर आधारित होगा. प्रारंभिक तौर पर सेना संयुक्त
राष्ट्र शांति सेना में काम करने से इस अभ्यास को जोड़ रही है. भारतीय अफसर
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में काम के दौरान के अनुभवों को वियतनाम के
अफसरों के साथ साक्षा करेंगे. इस दौरान वियतनाम की पीपुल्स आर्मी की ताकत
गोरिल्ला युद्ध की तकनीक भी भारतीय अफसरों के साथ साझा हो सकेगी. दक्षिण
पूर्वी एशियाई देशों के बीच सितम्बर 2016 में हुए 12 समझौतों में से एक यह
अभ्यास भी था. वियतनाम
के 15 सैन्य अफसर में एक महिला सैन्य अधिकारी भी शामिल है. भारतीय टीम में
सभी पुरुष अफसर ही हैं. 3 फरवरी तक ये अभ्यास संयुक्त रूप से किया जाएगा.
चीन से मिलेगी रणनीतिक बढ़त
चीन और वियतनाम के बीच दक्षिण चीन सागर में तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है. वियतनाम ने इस क्षेत्र में भारत को निवेश के लिए आमंत्रित किया है. चीन इस पर आपत्ति भी जता चुका है. भारत का हाल ही में डोकलाम को लेकर चीन से 73 दिनों तक विवाद रहा. इसके बावजूद चीन अभी भी डोकलाम को अपना हिस्सा बताने पर अड़ा है. भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर भी चीन अपना दावा जताता है वहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले काश्मीर में चीन के वन बेल्ट-वन रोड को लेकर भारत अपनी आपत्ति जता चुका है लेकिन चीन उस पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. चीन की सामरिक और आर्थिक ताकत के अलावा उसकी महत्वाकांक्षाओं को काबू करने के लिए भारत पूर्वी और पड़ोसी देशों से आर्थिक और सामरिक संबंध बढ़ा रहा है. यह अभ्यास भी उसी दिशा में एक कदम है.
वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन शुआन फुक पिछले सप्ताह भारत-आसियान मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन और गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए यहां थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने वियतनाम के समकक्ष के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग का मुद्दा प्रमुखता से उठा था. नौवहन क्षेत्र में मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करते हुये दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में हाल के दिनों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
चीन से मिलेगी रणनीतिक बढ़त
चीन और वियतनाम के बीच दक्षिण चीन सागर में तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है. वियतनाम ने इस क्षेत्र में भारत को निवेश के लिए आमंत्रित किया है. चीन इस पर आपत्ति भी जता चुका है. भारत का हाल ही में डोकलाम को लेकर चीन से 73 दिनों तक विवाद रहा. इसके बावजूद चीन अभी भी डोकलाम को अपना हिस्सा बताने पर अड़ा है. भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर भी चीन अपना दावा जताता है वहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले काश्मीर में चीन के वन बेल्ट-वन रोड को लेकर भारत अपनी आपत्ति जता चुका है लेकिन चीन उस पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. चीन की सामरिक और आर्थिक ताकत के अलावा उसकी महत्वाकांक्षाओं को काबू करने के लिए भारत पूर्वी और पड़ोसी देशों से आर्थिक और सामरिक संबंध बढ़ा रहा है. यह अभ्यास भी उसी दिशा में एक कदम है.
वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन शुआन फुक पिछले सप्ताह भारत-आसियान मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन और गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए यहां थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने वियतनाम के समकक्ष के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग का मुद्दा प्रमुखता से उठा था. नौवहन क्षेत्र में मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करते हुये दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में हाल के दिनों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
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