कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भविष्य निधि (पीएफ) से 10 लाख
रुपये से अधिक की निकासी को ऑनलाइन दावा करना अनिवार्य कर दिया है. ईपीएफओ
द्वारा खुद को कागजरहित संगठन बनाने की दिशा में यह एक और कदम है. इसके
अलावा ईपीएफओ ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 से पांच लाख रुपये से
अधिक की निकासी के लिए भी ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य कर दिया है. पेंशन योजना
के तहत, पेंशन की आंशिक राशि की निकासी का प्रावधान है. इसे पेंशन के पैसे
का रूपान्तरण कहा जाता है. फिलहाल ईपीएफओ अंशधारकों को ऑनलाइन के साथ मैनुअल तरीके से भी दावा
दाखिल करने की अनुमति है. केंद्रीय भविष्य निधि
आयुक्त की अध्यक्षता में 17 जनवरी, 2018 को हुई बैठक में यह फैसला किया
गया. फील्ड कार्यालयों को कहा गया है कि यदि पीएफ से
निकासी की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो दावा सिर्फ ऑनलाइन स्वीकार
किया जाना चाहिए.
इसी तरह कर्मचारी पेंशन योजना में निकासी राशि पांच लाख रुपए से अधिक
होने पर सिर्फ ऑनलाइन दावा ही स्वीकार किया जाए. ऑनलाइन दावा करने से पहले
अंशधारक के बैंक खाते को प्रणाली से जोड़ा और सत्यापित किया जाना चाहिए.
ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या छह करोड़ से अधिक है. यह 10 लाख करोड़ रुपये
से अधिक के कोष का प्रबंधन करता है. इससे पहले बीते 21 फरवरी को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने
वर्ष 2017- 18 के लिये कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) पर ब्याज दर को घटाकर
8.55 प्रतिशत कर दिया गया. इससे पहले वित्त वर्ष में यह दर 8.65 प्रतिशत
थी.
देशभर में छह करोड़ से भी अधिक कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़े हैं. ईपीएफओ की
शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केन्द्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) है जिसके
प्रमुख श्रम मंत्री होते हैं. कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर के बारे
में सीबीटी के फैसले के बाद वित्त मंत्रालय इसकी पुष्टि करता है. वित्त
मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही भविष्य निधि अंशधारकों के खाते में ब्याज की
राशि डाल दी जाती है.
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