कांची के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती का बुधवार को निधन हो गया है. वो
82 साल के थे. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. बीते महीने भी अचानक
उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई थी, जिसके बाद उन्हें पिछले महीने उन्हें
चेन्नई के रामचंद्र अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. बताया जा रहा
है कि उनका ब्लड शुगर काफी नीचे चला गया था. पिछले दिनों उन्हें अस्पताल से
डिस्चार्ज कर दिया गया था और वो आराम कर रहे थे. कांची शंकराचार्य नवंबर 2017 में दिल्ली आए थे. उस वक्त भी उनकी तबीयत ठीक नहीं थी.
18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे.
वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता
है. इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी. जयेंद्र सरस्वती को 22
मार्च, 1954 को सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. 2004 में कांचीपुरम मंदिर के मैनेजर की हत्या के मामले
में जयेंद्र सरस्वती का नाम आया था. लेकिन 2013 में उन्हें बरी कर दिया गया
था. इस मामले में 2004 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, उन्हें करीब 2
महीने न्यायिक हिरासत में रखा गया था. बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिंदू मठ
है. यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य
कहते हैं. कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद
पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था.
पिछली एनडीए सरकार के समय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती
को अटल बिहारी वाजपेयी का समर्थन हासिल था. इस संबंध में स्वयं जयेंद्र
सरस्वती ने साल 2010 में ये दावा किया था कि वाजपेयी के नेतृत्व वाली
तत्कालीन एनडीए सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी
और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.
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