राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है. एनएसडी -2018 का विषय है "स्थाई भविष्य के लिए विज्ञान और प्राद्योगिकी (Science and Technology for a Sustainable Future)”. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान
से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच
पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में मनाया जाता है. 28 फ़रवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की हुई. इसी उपलक्ष्य में भारत में 1986 से हर वर्ष 28 फ़रवरी 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति
आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों
के प्रति सजग बनाना है. इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं
अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएँ, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा
प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित
प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. महत्त्वपूर्ण आयोजनों में वैज्ञानिकों के
लेक्चर, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार
तथा संगोष्ठी इत्यादि सम्मिलित हैं. विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ावा देने
के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है. विज्ञान की
लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेष पुरस्कार भी रखे गए हैं. राष्ट्रीय
विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है.
1928 में कोलकाता में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर चंद्रशेखर वेंकट रमन
ने इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज, जो ‘रमन इफेक्ट/रमन प्रभाव’ के रूप
में प्रसिद्ध है, की थी, जिसकी मदद से कणों की आणविक और परमाणविक संरचना का
पता लगाया जा सकता है और जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उस समय तक भारत या एशिया
के किसी व्यक्ति को भौतिकी का नोबल पुरस्कार नहीं मिला था. अवार्ड समारोह
में इस प्रभाव का प्रदर्शन करने रमन ने अल्कोहल का इस्तेमाल किया था. बाद
में रात के खाने के दौरान जब अल्कोहल पेश की गई तो भारतीय परंपराओं के कारण
रमन ने उसे हाथ भी नहीं लगाया.
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