भारत और वियतनाम ने शनिवार को स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध हिंद-प्रशांत
क्षेत्र के लिए काम करने को लेकर सहमति जताई. दोनों देशों ने इसके साथ ही
द्विपक्षीय अर्थव्यवस्था और व्यापार बढ़ाने समेत तीन समझौतों पर हस्ताक्षर
किए. इनमें से दो एमओयू आर्थिक और व्यापार क्षेत्र में
प्रोत्साहन के लिए रूपरेखा तैयार करना और शांतिपूर्ण कार्यो के परमाणु
ऊर्जा के क्षेत्र में प्रोद्यौगिक सहयोग मजबूत करना है. इस संबंध में
प्राद्यौगिकी हस्तांतरण और कृषि व संबंधित क्षेत्रों में तकनीकी
विशेषज्ञों के आदान-प्रदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और
वियतनाम के कृषि व ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच वर्ष 2018 से 2022 के
लिए कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए गए.
द्विपक्षीय समझौते के बाद संयुक्त वक्तव्य में भारत और
वियतनाम ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी प्रकार के आतंकवाद की स्पष्ट रूप से
निंदा की है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के राष्ट्रपति चन दाई
क्वांग के बीच कल हुई वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दोनों
नेताओं ने आतंकवाद से निपटने के लिए कट्टरवाद, आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण
और आवाजाही तथा आतंकवाद को धन मुहैया कराने वाले वित्तीय स्रोतों पर रोक
लगाने के लिए सभी देशों से व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया. दोनों
नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग, दोनों
देशों की व्यापक रणनीतिक भागीदारी का एक महत्वपूर्ण और प्रभावी स्तम्भ है. दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में भी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. दोनों
पक्ष इस बात पर सहमत थे कि व्यापार और आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ बनाना, द्विपक्षीय
संबंधों को आगे बढ़ाने की उनकी रणनीति का प्रमुख उद्देश्य है. दोनों
पक्षों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि तेल और गैस की खुदाई, तापिया और पनबिजली परियोजनाओं तथा अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण से भी आपसी सहयोग में काफी प्रगति हुई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त वक्तव्य में
कहा की हम स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम
करेंगे जहां संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का आदर होगा और बातचीत के
जरिए विवादों का निपटारा होगा. मोदी ने कहा की हम अपने समुद्री
संबंधों का विस्तार करने और खुले, पारदर्शी, समावेशी और नियम आधारित
क्षेत्रीय संरचना को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि वियतनाम ने नई दिल्ली के एक्ट ईस्ट नीति के तहत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. पिछले वर्ष वियतनाम के साथ हमारे कूटनीतिक संबंधों के 45 वर्ष पूरे
हुए थे और पिछले वर्ष ही हमने वियतनाम के साथ रणनीतिक साझेदारी की 10वीं
वर्षगांठ मनाई थी. प्रधानमंत्री ने कहा वियतनाम के साथ हमारे
संबंध केवल दो सरकारों के बीच सीमित नहीं हैं. सभ्यता के स्तर पर हमारे
संबंध 2000 वर्ष पुराने हैं. उन्होंने कहा की हम भाग्यशाली हैं कि वियतनामी लोग भारत में तकनीक और अन्य क्षेत्रों में शिक्षा व प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने
जोर देते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिवेश में दोनों देशों के बीच
द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ा है और कहा कि दोनों देशों का व्यापार
पिछले पांच वर्षो के दौरान 6 अरब डॉलर से बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गया है. उन्होंने
कहा कि चर्चा के दौरान दोनों देश व्यापार और निवेश को मजबूत करने को लेकर
सहमत हुए हैं. इसके साथ ही कृषि, कृषि उत्पाद, कपड़ा और तेल व गैस क्षेत्र
में भी समझौते हुए हैं. मोदी ने कहा हम न केवल तेल व गैस के
क्षेत्र में द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने, बल्कि त्रिपक्षीय साझेदारी
के लिए अन्य देश के साथ मिलकर काम करने की संभावना तलाशने की कोशिश
करेंगे.
वहीं क्वांग ने कहा कि दोनों देश साथ मिलकर समुद्री व साइबर सुरक्षा समेत क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए काम करेंगे. दोनों पक्ष द्विपक्षीय
संबंध को बढ़ाने को लेकर आशान्वित हैं और हमें उम्मीद है कि वर्ष 2020 तक
दोनों देशों के बीच व्यापार 15 अरब डॉलर हो जाएगा. उन्होंने वियतनाम
एयरलाईन को हो ची मिन्ह सिटी और नई दिल्ली के बीच विमान सेवा शुरू करने के
लिए धन्यवाद दिया और भारतीय एयरलाइंस से भी दोनों देशों के बीच विमान सेवा
शुरू करने का आग्रह किया. बता दे की वियतनामी राष्ट्रपति ट्रन दाई क्वांग 3 दिन की यात्रा
पर भारत आए हैं. यह राष्ट्रपति के रूप में ट्रान की पहली भारत यात्रा है. दोनों
देशों की ओर से इस संबंध में बयान हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते
प्रभाव और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये की वजह से महत्वपूर्ण
माना जा रहा है.
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