नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पिछले साल 1 जुलाई को लागू किया गया वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) दुनिया के 115 देशों में सबसे जटिल और दूसरा सबसे अधिक टैक्स रेट वाला है. यह बात विश्व बैंक ने अपनी ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ रिपोर्ट में कही है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 49 देशों में जीएसटी की एक दर है, जबकि 28 देश ऐसे हैं जहां जीएसटी की दो दरें प्रचलित हैं. विश्व बैंक ने भारत को जीएसटी के मामले में पाकिस्तान और घाना की श्रेणी में रखा है.
रिपोर्ट में कहा गया भारत में टैक्स की भारत में जीएसटी की उच्चतम दर 28 फीसद की है जो करीब 115 देशों के मुकाबले दूसरी उच्चतम कर दर है और एशिया में सबसे ज्यादा है. वर्तमान में भारत में जीएसटी की दरें 0, 5%, 12%, 18% और 28 प्रतिशत हैं.
सोना पर 3 फीसदी जीएसटी तो कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी के दर से टैक्स लगाया गया है. साथ ही शराब, पेट्रोलियम उत्पाद और रियल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली के बिल को जीएसटी से बाहर रखा गया है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 49 देशों में जीएसटी में एक स्लैब है, जबकि 28 देशों में दो स्लैब हैं. जीएसटी के चार या इससे अधिक स्लैब का इस्तेमाल करने वाले देशों में इटली, लक्समबर्ग, पाकिस्तान और घाना शामिल हैं.
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के बाद टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है. साल 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी कलेक्शन का लक्ष्य 91,000 करोड़ रुपये रखा था लेकिन कलेक्शन इससे कम रहा. हालांकि, रिपोर्ट में आने वाले दिनों में भारत में जीएसटी के हालात में सुधार की संभावना जताई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और कानूनी प्रावधानों को आसान करने से जीएसटी ज्यादा प्रभावी और असरदार होगा.
सोना पर 3 फीसदी जीएसटी तो कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी के दर से टैक्स लगाया गया है. साथ ही शराब, पेट्रोलियम उत्पाद और रियल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली के बिल को जीएसटी से बाहर रखा गया है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 49 देशों में जीएसटी में एक स्लैब है, जबकि 28 देशों में दो स्लैब हैं. जीएसटी के चार या इससे अधिक स्लैब का इस्तेमाल करने वाले देशों में इटली, लक्समबर्ग, पाकिस्तान और घाना शामिल हैं.
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के बाद टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है. साल 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी कलेक्शन का लक्ष्य 91,000 करोड़ रुपये रखा था लेकिन कलेक्शन इससे कम रहा. हालांकि, रिपोर्ट में आने वाले दिनों में भारत में जीएसटी के हालात में सुधार की संभावना जताई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और कानूनी प्रावधानों को आसान करने से जीएसटी ज्यादा प्रभावी और असरदार होगा.
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