एक्सपो में
इस बार 701 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें 539 भारतीय और 163
विदेशी फर्म हैं. अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा भारतीय फर्म हिस्सा ले
रही हैं. जबकि विदेशी कंपनियों में 20% की कमी आई है. हालांकि अमेरिका,
फ्रांस, ब्रिटेन, रूस की टॉप डिफेंस कंपनियां हिस्सा ले रही है. एग्जीबीशन 2.9 लाख वर्ग फीट में हो रहा है. यह अब तक का सबसे बड़ा एक्सपो है. गोवा से 25% बड़ा है. एक्सपो में भारत का लैंड, एयर और नेवल सिस्टम का लाइव डेमोस्ट्रेशन होगा.
155 एमएम एडवांस आर्टिलरी गन धनुष, तेजस जेट्स, अर्जुन मार्क-2 टैंक को भी
प्रदर्शनी में रखा गया है. ब्रिज बनाने वाले टैंक (बीएटीज) भी शामिल किए
गए हैं. एक्सपो में 70% स्पेस भारतीय फर्म के लिए है. इसमें 20% जगह एमएसएमई ने बुक की है. भारतीय पैवेलियन 35 हजार वर्ग फीट में है. इसमें निजी और सार्वजनिक फर्म अपने प्रॉडक्ट दिखाएंगे.
रक्षा मंत्रालय ने कहा की एक्सपो के जरिए हम दुनिया को
भारत में हो रहे रक्षा निर्माण की क्षमता दिखाना चाहते हैं. हम रक्षा
निर्माण में तेजी से बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि हमने बीते साल 55 हजार करोड़
रुपए के रक्षा उपकरणों का निर्माण किया. हम अपने प्रॉडक्ट को निर्यात करने
की संभावनाएं भी टटोल रहे हैं. भारतीय वायुसेना ने 110 फाइटर एयरक्राफ्ट खरीदने का एलान किया है. इस
सौदे की लागत 78 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है. लिहाजा, दुनियाभर की
ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री की इस एक्सपो पर नजर है. साउथ एशिया सेंटर
ऑफ अटलांटिक की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी लॉकहीड
मार्टिन और बोइंग भारत में मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमआरसीए) एफ-16
और एफ/ए हॉर्नेंट जेट्स के लिए भारत में प्लांट लगाने की संभावना तलाश रही
हैं. इसके अलावा स्वीडन की साब और डसाल्ट एविएशन भी प्लांट लगाने
पर विचार कर रही हैं. ये सभी फर्म इस एक्सपो में पहुंच रही हैं. इन्हें
यहां बड़ा बाजार दिख रख रहा है. क्योंकि भारत 2032 तक अपना हवाई बेड़ा 30 से
बढ़ाकर 42 करना चाहता है. इस दौरान भारत रक्षा उपकरण पर 10 लाख करोड़ रुपए
खर्च करेगा.
1998 में भारत में पहली बार आया था कांसेप्ट: डिफेंस एक्सपो का कांसेप्ट 1998 में आया था. पहली बार भारत में 1999 में 197 कंपनियों ने इसमें हिस्सा लिया था. रक्षा मंत्रालय और सीआईआई ने 1999 में पहले शो का आयोजन किया था. 2002 से ये हर दो साल पर हो रहा है. 2008 में 29 देशों की 447 फर्म पहुंची
थीं. तब 208 भारतीय कंपनियों ने भी रजिस्ट्रेशन कराया था. 2016
में यह एक्सपो पहली बार दिल्ली के बाहर गोवा में हुआ. तब रिकॉर्ड 44 देशों
की 843 फर्म ने रजिस्ट्रेशन कराया. 2018 में दूसरा मौका है, जब एक्सपो
दिल्ली से बाहर हो रहा है. चेन्नई में
हो रहे इस एक्सपो में 701 फर्म हिस्सा ले रही है. इसमें 539 भारतीय और 163
विदेशी फर्म है. हालांकि,
दुनिया के अन्य देशों में इसका चलन दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तेजी से बढ़ा. 1936 में
मॉडर्नहिस्ट्री में स्टॉकहोम में एक्सपो लगा. इसमें 8 देशों ने हिस्सा लिया
था. इस दौरान एयरशो भी आयोजित किए गए. इससे पहले 1851 में पहला डिफेंस
एक्सपो लगा था. दुनिया में सालाना 37 डिफेंस एक्सपो होते हैं. यानी कहीं न कहीं हर 10वें दिन एक्सपो होता है. आज दुनिया में डिफेंस कारोबार सबसे बड़ा है. दुनिया की डिफेंस इंडस्ट्री 130 लाख करोड़ रुपए की है. दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो यूरोसटोरी का आयोजन फ्रांस में होता है.
2016 में 17.89 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में लगा था. 30 देशों की 1571 फर्म
पहुंची थी.
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