भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने अत्याधुनिक 5जी उपकरणों का निर्माण, अनुसंधान और मानक निर्धारित करने हेतु एक रेडियो (बिना तार की) प्रयोगशाला स्थापित की है. इस 5जी प्रयोगशाला का शुभारंभ 13 अप्रैल को हुआ. पाठकों को बता दे की भारत में यह अपने तरह की पहली प्रयोगशाला है. यह लैब आईआईटी के भारती स्कूल ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन टैक्नॉलजी एंड मैनेजमेंट में खोली जा रही है. यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक विकिरण के उत्सर्जन को रोकने में मदद करेगा और इसके कारण न्यूनतम रेडियो हस्तक्षेप होगा, जिससे बेहतर संचार हो
सकेगा. भारत में ही अगर दूरसंचार उपकरण बनने लगेंगे तो दूर दराज के ग्रामीण उपभोक्ताओं को ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सकेगा, जो "डिजिटल इंडिया कार्यक्रम" का महत्वपूर्ण एजेंडा है और इसका उदेश्य भारत को प्रौद्योगिकी मानकीकरण, अनुसंधान एवं विकास और 5जी उपकरणों के निर्माण में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है.
इस स्कूल में 5जी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस और डिजिटल इनोवेशंस लैब भी है. इनके साथ मिलकर इस सेंटर में टेलिकम्यूनिकेशन पर कई पहलुओं पर रिसर्च की जाएगी. मैसिव मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट (मीमो) सिस्टम में 3जी और 4जी के मुकाबले कई ऐंटिना बेस स्टेशन में लगाए जाते हैं. इससे बड़ी तादाद में मोबाइल टर्मिनल को एक ही फ्रिक्वेंसी में एक ही वक्त पर नेटवर्क मिलेंगे. साथ ही, इस सिस्टम में 3जी और 4जी के मुकाबले 10 गुना कम पावर का रेडिएशन होगा. इससे सेहत का नुकसान भी कम होगा. यहां कई टॉप इंजिनियरिंग इंस्टिट्यूट काम करेंगे.
सकेगा. भारत में ही अगर दूरसंचार उपकरण बनने लगेंगे तो दूर दराज के ग्रामीण उपभोक्ताओं को ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सकेगा, जो "डिजिटल इंडिया कार्यक्रम" का महत्वपूर्ण एजेंडा है और इसका उदेश्य भारत को प्रौद्योगिकी मानकीकरण, अनुसंधान एवं विकास और 5जी उपकरणों के निर्माण में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है.
इस स्कूल में 5जी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस और डिजिटल इनोवेशंस लैब भी है. इनके साथ मिलकर इस सेंटर में टेलिकम्यूनिकेशन पर कई पहलुओं पर रिसर्च की जाएगी. मैसिव मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट (मीमो) सिस्टम में 3जी और 4जी के मुकाबले कई ऐंटिना बेस स्टेशन में लगाए जाते हैं. इससे बड़ी तादाद में मोबाइल टर्मिनल को एक ही फ्रिक्वेंसी में एक ही वक्त पर नेटवर्क मिलेंगे. साथ ही, इस सिस्टम में 3जी और 4जी के मुकाबले 10 गुना कम पावर का रेडिएशन होगा. इससे सेहत का नुकसान भी कम होगा. यहां कई टॉप इंजिनियरिंग इंस्टिट्यूट काम करेंगे.
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