माल के अंतर-राज्य आवागमन के लिए ई-वे बिल प्रणाली 27 मई 2018 से सात और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गई. यह राज्य महाराष्ट्र, मणिपुर, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, दमन एंव दीव और लक्षद्वीप है. इसके साथ ही इस सिस्टम को लागू करने वाले राज्यों की संख्या 27 हो जाएगी.
जीएसटी परिषद के फैसले के अनुसार, इस वर्ष 1 अप्रैल से ई-वे बिल सिस्टम
शुरू किया गया है.
राज्य के भीतर 50,000 रुपए से अधिक के सामान की आवाजाही के लिए ई - वे बिल जरूरी होगा. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके साथ ही अब राज्य के भीतर वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई- वे बिल प्रणाली 27 राज्यों-संघ शासित प्रदेशों में लागू हो जाएगी. सरकार ने एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच 50,000 रुपए से अधिक के सामान की आवाजाही के लिए एक अप्रैल से इलेक्ट्रॉनिक वे बिल प्रणाली लागू की थी. राज्य के भीतर यही व्यवस्था 15 अप्रैल से लागू की गई थी.
मंत्रालय ने कहा कि औसतन प्रतिदिन 12 लाख ई-वे बिल निकाले जा रहे हैं.
ई-वे बिल को कर चोरी से बचाव के रूप में देखा जा रहा है. 50,000 रुपए से
अधिक का माल ले जा रहे ट्रांसपोर्टर को जीएसटी निरीक्षक के मांगने पर ईवे
बिल दिखाना होता है. माना जा रहा है कि इस कदम से कर संग्रहण को प्रोत्साहन
मिलेगा. 23 मई तक यह प्रणाली आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात,
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, मेघालय,
नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश
और पुड्डचेरी में लागू हो गया था.
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