भारत ने 23 सितंबर 2018 को ओडिशा के मिसाइल परीक्षण केन्द्र से इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. इसके साथ ही भारत ने दो परतों वाली बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है. इस पृथ्वी डिफेंस व्हीकल मिशन का लक्ष्य वायुमंडल के 50 किलोमीटर ऊपर रखा गया था. पीडीवी इंटरसेप्टर और मिसाइल सफलतापूर्वक लक्ष्य को भेदने में कामयाब रहा. इसकी खासियत यह है कि रडार आधारित टोही प्रणाली से दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल का आसानी से पता लगा सकता है और उसका पीछा कर सकता है. सभी गतिविधियों की रीयल टाइम निगरानी की गई. इस इंटरसेप्टर का 11 फरवरी, 2017 में भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
परीक्षण के उपरांत कुछ समय बाद पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) इंटरसेप्टर और लक्ष्य मिसाइल दोनों सफलतापूर्वक जुड़ गए थे. पीडीवी मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किलोमीटर से ऊपर की ऊंचाई पर लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए है. इस तकनीक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. परीक्षण के दौरान राडार से आ रहे आंकड़ों का कंप्यूटर नेटवर्क ने सटीक विश्लेषण किया और आने वाली लक्ष्य मिसाइल को मार गिराया गया. इंटरसेप्टर मिसाइल उच्च दक्षता वाले इंट्रियल नेविगेशन प्रणाली (आईएनएस) से निर्देशित हुई.
भारत में ही बनने वाली इस इंटरसेप्टर मिसाइल के अलावा कई और मिसाइल भी पहले सफलतापूर्वक जांची जा चुकी है. इससे पहले डीआरडीओ ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल ‘प्रहार’ को टेस्ट किया था. ‘प्रहार’ पूरी तरह से स्वदेशी अत्याधुनिक मिसाइल है. भारतीय सेना में ‘प्रहार’ जैसी मिसाइल के शामिल होने से सेना की मारक क्षमता में इजाफा होगा साथ ही यह युद्ध प्रणाली के लिए ज़रूरी अल्ट्रा-मॉर्डन टेक्नोलॉजी को भी बढ़ाने में सक्षम है. इंटरसेप्टर का नाम पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) मिशन दिया गया.
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