केन्द्र सरकार ने 17 सितंबर 2018 को देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय किए जाने की घोषणा की है. केंद्र सरकार द्वारा देश की बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत करने हेतु तीनों सरकारी बैंकों को मिलाकर एक करने का फैसला लिया गया है. सरकार के इस फैसले के साथ ही एसबीआई के सहयोगी बैंकों के विलय के बाद बैंकिंग क्षेत्र में दूसरे बड़े विलय का रास्ता साफ हो गया है. इन तीनों बैंकों के विलय से बना बैंक देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. आर्थिक पैमानों पर यह मजबूत प्रतिस्पर्धी बैंक होगा. इसमें तीनों बैंकों के नेटवर्क्स एक हो जाएंगे, डिपॉजिट्स पर लागत कम होगी और सब्सिडियरीज में सामंजस्य होगा. इससे ग्राहकों की संख्या, बाजार तक पहुंच और संचालन कौशल में वृद्धि होगी. साथ ही, ग्राहकों को ज्यादा प्रॉडक्ट्स और बेहतर सेवा ऑफर किए जा सकेंगे.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी देते हुए कहा की सरकार ने बजट में घोषणा की थी कि बैंकों का एकीकरण किया जाएगा. ये हमारा एजेंडा था और इस दिशा में पहले कदम की घोषणा कर दी गई है. जेटली ने कहा की सरकार द्वारा विलय की घोषणा के मद्देनजर इन तीनों बैंकों के कर्मचारियों को अपने करियर को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है. किसी भी कर्मचारी को ऐसी सेवा दशाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो उनके लिए प्रतिकूल प्रकृति की हो. तीनों बैंकों के विलय से भारत का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनेगा, जो वैश्विक स्तर का होगा. जेटली ने कहा कि तीनों बैंकों के विलय से इनकी परिचालन क्षमता बढ़ेंगी.
अभी देश में बैंक ऑफ बड़ौदा के 5,502, विजया बैंक के 2,129 और देना बैंक के 1,858 ब्रांच हैं. इनके विलय के बाद नए बैंक के 9,489 ब्रांच हो जाएंगे. इसी प्रकार बैंक ऑफ बड़ौदा के अभी 56,361 कर्मचारी, विजया बैंक के 15,874 कर्मचारी और देना बैंक के 13,440 कर्मचारी हैं. इन्हें मिलाकर नए बैंक में कुल कर्मचारियों की संख्या 85,675 हो जाएगी. इसके साथ ही, नए बैंक का कुल बिजनस 14 लाख 82 हजार 422 करोड़ रुपये का हो जाएगा.
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