नेशनल प्रोजैक्ट्स कंसट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) को भारत सरकार द्वारा मिनीरत्न श्रेणी-1 का सम्मानित दर्जा प्रदान किया गया है. एनपीसीसी को मिनीरत्न का दर्जा हासिल होने से निदेशक मंडल की शक्तियों में वृद्धि होगी जिससे कंपनी तेज़ी से निर्णय ले सकेगी. एनपीसीसी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में अनुसूची 'बी' का एक केन्द्रीय लोक-उद्यम है जिसे हाल ही में आईएसओ 9001:2015 प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है. पिछले छह वर्षो से इसका नेटवर्थ सकारात्मक है और इसकी महत्वाकांक्षी व्यापार-योजना के तहत इसे प्राप्त कार्य-आदेशों की स्थिति बढकर 11833 करोड़ रुपये हो गई है.
नेशनल प्रोजैक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) की स्थापना वर्ष 1957 में की गई थी. राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के निर्माण के लिए आवश्यक जनशक्ति एवं तकनीक उपलब्ध कराना और निजी क्षेत्र के लिए मूल्य नियंत्रक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करना इसका उद्देश्य रहा है. विगत 55 वर्षो के दौरान यह निगम राष्ट्रीय महत्व की 130 से अधिक परियोजनाओं को संकल्पना से संचालन स्तर तक पूर्ण करने में सफलतापूर्वक जुड़ी रही है. इनमें से कुछ देश के दूरदराज़ के जोखिम भरे स्थानों पर स्थित हैं. कंपनी ने न केवल अपने ही देश में सामाजिक-आर्थिक विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं को पूर्ण किया है अपितु विदेशों में भी कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है.
महारत्न कंपनी का अर्थ एवं पात्रता शर्तें: सरकार द्वारा इस टाइटल की स्थापना 2009 में की गयी थी जिसका उद्देश्य बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (C.P.S.E) को अपने कारोबार का विस्तार करने तथा विश्व की बड़ी कंपनी के रूप में उभरने में समर्थ बनाना है. कंपनी को ‘नवरत्न' का दर्ज़ा प्राप्त होना चाहिए. सेबी के नियामकों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए. पिछले तीन सालों के दौरान औसत सालाना शुद्ध संपत्ति 15,000 रुपये करोड़ से ज्यादा होनी चाहिए. पिछले तीन सालो के दौरान औसत सालाना कारोबार 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए. वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपस्थिति/ अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशन्स होने चाहिए अर्थात् देश के आलावा कंपनी का कारोबार विदेश में भी होना चाहिए.
भारत की 8 महारत्न कम्पनियां हैं: भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), कोल इंडिया लिमिटेड, गैस अथोरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (गेल), इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, तेल एवं प्राकृतिक गैस कारपोरेशन लिमिटेड, भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड तथा भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड.
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