केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 दिसंबर 2018 को स्वास्थ्य देखभाल और आरोग्य के क्षेत्र में भारत तथा जापान के कनागवा प्रीफैक्चरल सरकार के बीच हुए सहयोग ज्ञापन (एमओसी) को पूर्व की तिथि से मंजूरी दे दी. सहयोग ज्ञापन की हस्ताक्षरित प्रतिलिपि प्राप्त करने के बाद दोनों पक्षों की गतिविधियां शुरू होंगी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच शुरू किए जाने वाले कार्यक्रमों की शर्तें सहयोग ज्ञापन के अनुसार होंगी. यह एक निरंतर प्रक्रिया होगी जब तक कि ज्ञापन अवधि समाप्त नहीं हो जाती. इस सहयोग ज्ञापन से पारंपरिक औषधि प्रणाली के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा. यह दोनों ही देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें कोई अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव शामिल नहीं है.
शोध, प्रशिक्षण, सम्मेलन, बैठक तथा विशेषज्ञों की नियुक्ति पर आने वाला खर्च आयुष मंत्रालय के बजट से पूरा किया जाएगा. बयान में कहा गया है कि मजबूत पांरपरिक औषधि की पृष्ठभूमि के साथ जापान में आयुर्वेद और योग की ओर रूझान बढ़ रहा है. भारत में पारंपरिक औषधि की समृद्ध परंपरा है. वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में इसकी असीम संभावनाएं हैं. आयुष मंत्रालय ने इन पारंपरिक औषधि प्रणालियों को बढ़ावा देने, प्रचार करने और इसे वैश्विक स्तरपर मान्यता दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं. पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में सहयोग के लिए 14 देशों के साथ समझौते किए गए हैं. समृद्ध पारंपरिक औषधि की परिप्रेक्ष्य में जापान में आयुर्वेद और योग के प्रति रुचि निरंतर बढ़ रही है.
भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का बहुत लम्बा इतिहास रहा है. दोनों देशो के सम्बन्ध हमेशा से काफ़ी मजबूत और स्थिर रहे हैं. इसका आधार है- आध्यात्मिक लगाव तथा मजबूत सांस्कृतिक व सभ्यता संबंध. भारत और जापान के बीच राजनीतिक, आर्थिक, विज्ञान संबंधी और सांस्कृतिक संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं. जापान की संस्कृति पर भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है. भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज को सहायता प्रदान की थी. भारत की स्वतंत्रता के बाद से भी अब तक दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्ध रहे हैं. वर्तमान समय में भारत जापान द्विपक्षीय व्यापर लगभग 14 अरब डॉलर का है जिसे बढ़ा का 25 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही जापान का भारत में लगभग 15 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी है.
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