केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 02 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का पुनर्गठन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के रूप में करने की स्वीकृति दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई. इस मंजूरी के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी भंग कर दी गई है और इसके स्थान पर परिवार और कल्याण मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय के रूप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण बनाया गया है. वर्तमान बहुस्तरीय ढांचे के स्थान पर गवर्निंग बोर्ड बनाया गया है. गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री होंगे. गवर्निंग बोर्ड योजना को सुगम्य तरीके से लागू करने के लिए आवश्यक तेज गति से निर्णय लेने में सहायक होगा. गवर्निंग बोर्ड का गठन व्यापक है और इसमें सरकार और क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है. इसके अतिरिक्त गवर्निंग बॉडी में बारी-बारी से राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों पर जुर्माना लगाने का अधिकार होगा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण राज्यों को निर्देश जारी कर सकेगी. फिलहाल राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी के पास राज्यों को महज एडवाइजरी जारी करने का अधिकार है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करेगी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण सक्षम, कारगर तथा पारदर्शी रूप से निर्णय लेने की प्रक्रिया के माध्यम से पीएम-जेएवाई को लागू करने के लिए उत्तरदायी और अधिकृत होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को झारखंड से देश को विश्र्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' आयुष्मान भारत की सौगात दी है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना केंद्र सरकार की योजना है. आयुष्मान भारत के तहत सरकार देशभर मेंप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर के तौर पर विकसित किए जा रहे है. ये जिला अस्पताल से डिजिटली लिंक होंगे. इन सेंटर्स पर जांच से लेकर इलाज और दवाई तक मुहैया कराई जाएगी. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत देश के 10.74 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सालाना 5 लाख रुपए का कवर दिया जाएगा. यानी इन परिवारों में किसी भी सदस्य को इलाज की ज़रूरत पड़े, तो सरकार सालभर में 5 लाख रुपए तक का खर्च उठाएगी. देश भर में 13,000 से ज्यादा अस्पताल इस योजना में शामिल किए गए हैं. पीएमजेएवाई से जुड़े सभी लोगों के प्रयासों और डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य प्रदाताओं, आशा, एएनएम आदि के समर्पण के माध्यम से, यह योजना सफल होगी.
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