विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 15 जनवरी 2019 को दूरदर्शन (डीडी) और प्रसार भारती के साथ मिलकर नई दिल्ली में विज्ञान संचार के क्षेत्र में दो पहलों ‘डीडी साइंस’ तथा ‘इंडिया साइंस’ की शुरुआत की. इंडिया साइंस इंटरनेट आधारित चैनल है, जो किसी भी इंटरनेट आधारित उपकरण पर उपलब्ध है और यह मांग पर निर्धारित वीडियो लाइव उपलब्ध कराएगा. इंडिया साइंस चैनल को किसी भी स्मार्ट फोन या इंटरनेट कनेक्शन वाले स्मार्ट टीवी व कंप्यूटर पर देखा जा सकेगा. डीडी साइंस दरअसल दूरदर्शन न्यूज चैनल पर एक घंटे का स्लॉट है. इसका प्रसारण सोमवार से शनिवार तक सायं 05:00 बजे से सायं 06:00 बजे तक किया जाएगा. विज्ञान संचार से जुड़े दो प्लेटफॉर्म विज्ञान को बढ़ावा देने और इसे रोजमर्रा की जिंदगी के करीब लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर की गई पहल के रूप में है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने इन चैनलों की परिकल्पना करने के साथ-साथ इन्हें मूर्तरूप देने में काफी सहयोग प्रदान किया है.
इन दोनों प्रमुख पहल के आगाज की घोषणा करते हुए केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इंटरनेट आधारित भारत विज्ञान चैनल को किसी भी स्मार्ट फोन या इंटरनेट कनेक्शन वाले स्मार्ट टीवी व कंप्यूटर पर देखा जा सकेगा. इसमें विज्ञान से जुड़े कार्यक्रमों के लाइव शेड्यूल प्ले और वीडियो ऑन डिमांड सेवाएं उपलब्ध होंगी. उन्होंने बताया कि दूरदर्शन पर भी सोमवार से शनिवार तक रोजाना शाम 5 बजे से एक घंटे का डीडी विज्ञान कार्यक्रम दिखाया जाएगा, जिसमें साइंस फिक्शन, लघु वृतचित्र, अविष्कार और उपलब्धियों से जुड़े शो दिखाए जाएंगे.
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वर्ष 2030 तक हमें विज्ञान व प्रौद्योगिकी क्षेत्र के शीर्ष-3 देशों में शामिल होना है. देश की 92 फीसदी आबादी तक पहुंच रखने वाला दूरदर्शन विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है. उन्होंन जल्द ही देश में एक चौबीस घंटे-सातों दिन चलने वाला डीडी साइंस चैनल शुरू होने की भी उम्मीद जताई. मंत्री ने कहा कि भारत की सार्वजनिक प्रसारण सेवा दूरदर्शन द्वारा नब्बे के दशक में पल्स पोलियो अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी. भारत की 92 प्रतिशत से भी अधिक आबादी तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने वाला दूरदर्शन विज्ञान की लोकप्रियता बढ़ाने की दृष्टि से एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम साबित होगा.
भारत में विज्ञान संचार के इतिहास में मील का पत्थर माने जाने वाले ये दोनों विज्ञान चैनल देश में एक राष्ट्रीय विज्ञान चैनल का आगाज करने की दिशा में आरंभिक कदम हैं. जहां एक ओर इंडिया साइंस ने पहले से ही चौबीसों घंटे वाली अपनी मौजूदगी दर्ज करा रखी है, वहीं दूसरी ओर डीडी साइंस को भी भविष्य में एक पूर्ण चैनल में तब्दील किया जा सकता है. वर्ष 2030 तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष तीन देशों में शुमार होना होगा और इस तरह की पहल इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास हैं. दूरदर्शन देश में तीन करोड़ से ज्यादा घरों तक पहुंच चुका है और विज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए यह एक प्रभावी माध्यम होगा.
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