भारत पहली बार साल 2019 के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है. यह भारत के कार्बन उत्सर्जन से उबरने हेतु किए गए प्रयासों का ही परिणाम है. वहीं दूसरी ओर, अमेरिका सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में पहली बार शामिल हुआ है. कोयला उद्योगों के आधार पर अब भी अपनी अर्थव्यवस्था चला रहे ऑस्ट्रेलिया एवं सऊदी अरब भी अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल हैं. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में 'कॉप 25' जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 10 दिसंबर 2019 को सीसीपीआइ रिपोर्ट जारी की गई.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग का मौजूदा स्तर 'उच्च श्रेणी' में नौवें स्थान पर है. हालांकि, अपनी जलवायु नीति के प्रदर्शन हेतु उच्च रेटिंग के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार को अभी जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए रूपरेखा बनानी होगी. संक्षेप में, जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु और अधिक कठोर कानून एवं संशोधन किए जाने चाहिए.
भारत पहली बार इस वर्ष के मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है. भारत मैड्रिड में जारी सूचकांक में 9वें स्थान पर है. इस सूचकांक में स्वीडन चौथे स्थान पर और डेनमार्क पांचवें स्थान पर है. चीन ने सूचकांक में अपनी रैंकिंग में मामूली सुधार करते हुए 30वां स्थान हासिल किया है. इस सूची में ब्रिटेन 7वें स्थान पर और भारत 9वे को ‘‘उच्च’’ श्रेणी में स्थान दिया गया है जबकि जी20 के आठ देश सूचकांक की सबसे खराब श्रेणी में बने हुए हैं. ये रैंकिंग 14 मानकों के आधार पर दी गई है, जिन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया है. हालांकि कोई भी देश सभी मानकों पर 100 प्रतिशत खरा नहीं उतर सका, इसलिए इस सूची में पहले तीन स्थान खाली हैं. रिपोर्ट के अनुसार, नए जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक से कोयले की खपत में कमी समेत उत्सर्जन में वैश्विक बदलाव के संकेत दिखाई देते हैं.
सीसीपीआई: जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति के बारे में स्पष्ट समझ विकसित करने तथा पारदर्शिता बढ़ाने हेतु बनाया गया एक अहम उपकरण है. इसका मुख्य उद्देश्य उन देशों पर राजनीतिक एवं सामाजिक दबाव बढ़ाना है जो अब तक, जलवायु संरक्षण पर महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.
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