भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 11 दिसंबर 2019 को एक और नया इतिहास रच दिया है. इसरो ने 11 दिसंबर को रीसैट-2बीआर1 (RISAT-2BR1) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह उपग्रह भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है. इसी कारण से इसको भारत का खुफिया उपग्रह भी कहा जा रहा है. भारत की निगरानी की ताकत अंतरिक्ष पर पहले से और अधिक बढ़ जाएगी. इसरो ने बताया कि रिसैट-2बीआर1 मिशन की लाइफ पांच साल है. इसरो पीएसएलवी के जरिये एक साथ दस सेटेलाइट को आसमान में रवाना किया है. इनमें इजराइल, इटली और जापान का एक-एक तथा अमेरिका के छह उपग्रह शामिल होंगे.
रीसैट-2बीआर1 एक रडार इमेजिंग निगरानी उपग्रह है. इस उपग्रह का भार 628 किलोग्राम है. ये सैटेलाइट रात के अंधेरे तथा खराब मौसम में भी काम करेगा. इस रडार की सहायता से देश की सीमाओं पर नजर रखा जाएगा, ये प्रत्येक मौसम में दुश्मनों की हरकत पर अपनी नजर बनाए रख सकता है. इसरो के अनुसार, इस सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 576 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में 37 डिग्री झुकाव पर स्थापित किया जाएगा. यह सैटेलाइट देश की सेनाओं के अतिरिक्त यह कृषि, जंगल और आपदा प्रबंधन विभागों को भी सहायता करेगा. रीसैट-2बीआर1 सैटेलाइट के पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद भारत की राडार इमेजिंग ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. यह सैटेलाइट अपनी कक्षा में स्थापित होने के साथ ही काम करना शुरू कर देगा तथा कुछ देर बाद ही इससे तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी. यह उपग्रह लगभग 100 किलोमीटर के दायरे की तस्वीरें लेकर भेजेगा. इसको खासतौर पर सीमा पार से होने वाली घुसपैठ रोकने हेतु तैयार किया गया है.
इस लॉन्चिंग के साथ ही इसरो के नाम एक और रिकॉर्ड बन गया है. ये रिकॉर्ड 20 सालों में 33 देशों के 319 उपग्रह छोड़ने का हैं. इसरो ने साल 1999 से लेकर अब तक कुल 310 विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किए हैं. यदि आज के नौ उपग्रहों को मिला दें तो ये संख्या 319 हो गई है.
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