अमेरिकन ब्रोकरेज ने 7 फीसदी की दर से भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ की
क्षमता का अनुमान जताया है. पिछले साल भारत की इकॉनमी 2.26 खरब डॉलर थी.
हालांकि 2028 में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी
की साइज क्या होगी, इस संबंध में रिपोर्ट में जानकारी नहीं दी गई है.
रिपोर्ट का शीर्षक 'इंडिया 2028: द लास्ट ब्रिक इन द वॉल' है. इसमें कहा
गया है कि निर्भरता अनुपात में गिरावट, वित्तीय परिपक्वता और लोगों की
बढ़ती आय व सामर्थ्य ऐसे तीन प्रमुख कारक होंगे जिनकी वजह से भारत सर्वाधिक
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा।.
रिपोर्ट के मुताबिक 2028 में भारत का निर्भरता अनुपात (0-14 साल और 65 साल से आयु वर्ग में अनुत्पादक आबादी) का प्रतिशत अभी के 52.2 फीसदी के मुकाबले घटकर 46.2 फीसदी रह जाएगा. इससे जीडीपी पर बचत दर के 32 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान है. 2000-17 से तुलना करें तो बचत दर 31.4 फीसदी रही थी. बढ़ती बचत दर से 2028 में इन्वेस्टमेंट रेट भी जीडीपी के 35 फीसदी होनी चाहिए. 2017 में यह दर 32.4 फीसदी और 1980, 1990 के दशक में 22.1 फीसदी रही थी. ऐसा होने पर भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 2-2.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इसी के आधार पर रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारत 7.1 फीसदी की विकास दर से आगे निकल 10 फीसदी की विकास दर से आगे बढ़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक 2028 में भारत का निर्भरता अनुपात (0-14 साल और 65 साल से आयु वर्ग में अनुत्पादक आबादी) का प्रतिशत अभी के 52.2 फीसदी के मुकाबले घटकर 46.2 फीसदी रह जाएगा. इससे जीडीपी पर बचत दर के 32 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान है. 2000-17 से तुलना करें तो बचत दर 31.4 फीसदी रही थी. बढ़ती बचत दर से 2028 में इन्वेस्टमेंट रेट भी जीडीपी के 35 फीसदी होनी चाहिए. 2017 में यह दर 32.4 फीसदी और 1980, 1990 के दशक में 22.1 फीसदी रही थी. ऐसा होने पर भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 2-2.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इसी के आधार पर रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारत 7.1 फीसदी की विकास दर से आगे निकल 10 फीसदी की विकास दर से आगे बढ़ेगा.
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