राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद में 29 जनवरी से बजट सत्र शुरू
हो गया है. बजट सत्र के पहले दिन संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया गया. इस सर्वे में वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ के 7 से 7.5 फीसद रहने की
अनुमान लगया है. वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर के 6.75 फीसद
रहने का अनुमान है. आर्थिक सर्वे में महंगे क्रूड को अर्थव्यवस्था के लिहाज
से सबसे बड़ी चिंता बताया गया है। कच्चे तेल की कीमतों में
बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई गई है. सरकार का जोर उत्पादन बढ़ाने पर रहेगा.
ससंद में आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद भी शेयर मार्केट लगातार ऊपर जा रहा
है. शेयर बाजार आर्थिक सर्वे के बाद भी 300 अंक की बढ़ोतरी के साथ 36,350
पॉइंट पर कारोबार कर रहा है. आर्थिक सर्वे में पब्लिक इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने की बात भी सामने आई
है. वहीं सराकार का जोर इस बार पैसे जुटाने पर नहीं बल्कि विकास के लिए
पैसे खर्च करने पर होगा. पर्यावरण प्रदूषण पर आर्थिक सर्वे में चिंता जताई
गई है. नवंबर 2016 के बाद से 18 लाख नए टैक्सपेयर बने हैं. अप्रत्यक्ष
करदाताओं में भी बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई है. जीएसटी लागू होने के बाद से
अप्रत्यक्ष कर चुकाने वालों की संख्या में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है.
सर्वे में भारत और इंडोनेशिया में जन्म लेने वाले लड़का और लड़की के
अनुपात की भी तुलना की गई है. इस बार आर्थिक सर्वे में सामने आया है कि
भारत में बेटे की चाहत ज्यादा है. इसीलिए लड़का और लड़की के बीच अनुपात
समानता नहीं है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि एक्सपोर्ट में सुधार देखने
को मिल सकता है. इस साल चालू खाता घाटा 1.5 से लेकर 2 फीसदी तक रह सकता
है. वहीं वित्त वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा 3.2 फीसदी रहने का
अनुमान लगाया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि में 2.1 फीसदी की ग्रोथ
हो सकती है. उधर बजट सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने भी कहा कि सपने
पूरे करने वाला बजट लेकर आएंगे.
आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़ी खास बातें...
- आर्थिक समीक्षा में 2017-18 की वृद्धि दर 6.75 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया गया है.
- 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत पर आएगी. पिछले वित्त वर्ष में यह 7.6 प्रतिशत रही थी.
- चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रहेगी. 2015-16 में यह 1.2 प्रतिशत रही थी.
- आर्थिक समीक्षा में अनुमान कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, कच्चे तेल के घटे दाम से अप्रत्याशित राजकोषीय लाभ की उम्मीद है
- वस्तु एवं सेवा कर से राजकोषीय लाभ मिलने में लगेगा समय
- वित्त वर्ष 2016-17 में उद्योग क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत पर आने का अनुमान. पिछले वित्त वर्ष में यह 7.4 प्रतिशत थी
यहां
बता दें कि आर्थिक सर्वे देश की आर्थिक दशा की आधिकारिक रिपोर्ट है जिसमें
देश के क्षेत्रवार हालातों का ब्यौरा तो होता ही है साथ ही कुछ सिफारिशें
भी होती हैं. हालांकि इन सिफारिशों को मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. आर्थिक सर्वेक्षण अथवा
इकोनॉमिक सर्वे पिछले साल बांटे गए खर्चों का लेखाजोखा तैयार करता है. इससे
पता चलता है कि सरकार ने पिछले साल कहां-कहां कितना खर्च किया और बजट में
की गई घोषणाओं को कितनी सफलतापूर्वक निभाया. इसके साथ ही सर्वेक्षण से यह
भी पता चलता है कि पिछले साल अर्थव्यवस्था की स्थिति कैसी रही. सर्वेक्षण
के जरिए इकोनॉमी को लेकर कई सुझाव भी सरकार को दिए जाते हैं. केंद्रीय बजट (Union Budget) को पेश करने से एक दिन पहले देश का आर्थिक सर्वे प्रस्तुत किया जाता है. आर्थिक
सर्वेक्षण चूंकि देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है, इसलिए इसके जरिए
आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, इसकी एक झलक मिल जाती है. आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की
जानकारों की टीम तैयार करती है. इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद
सुब्रहमण्यम ने आर्थिक सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा है.
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