सिंगल ब्रांड रिटेल कंपनियों में अब ऑटोमेटिक रूट के जरिए सौ फीसदी
विदेशी निवेश की इजाजत दे दी गई है. प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला
लिया गया है. इसके अलावा एविएशन और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी एफडीआई
नियमों में छूट दी गई है. आपको बता दें कि इस फैसले से इन सेक्टर्स में
निवेश बढ़ेगा. साथ ही, विदेशी कंपनियां अब भारत में आसानी से निवेश कर
पाएंगी. लिहाजा ऐसे में नए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. नए फैसले
के तहत सिंगल ब्रांड रिटेल में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी
दे दी गई. इससे पहले एफडीआई के तहत निवेश करने पर सरकार से मंजूरी लेनी
पड़ती थी, लेकिन अब सभी शर्तें पूरी करने पर कैबिनेट से मंजूरी नहीं लेनी
होगी. अगर आसान शब्दों में समझें तो निवेश मंजूरी की प्रक्रिया बेहद आसान
हो जाएगी.
यह फैसला रिटेल कंपनियों के लिए बड़ी राहत
की खबर लाया है. सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई तो पहले था,
लेकिन ऑटोमेटिक रूट्स के जरिए निवेश को मंजूरी से कंपनियों का निवेश करना
आसान हो जाएगा. विदेशी कंपनियां अब भारत में किसी भी कंपनी को आसानी से
खरीद सकती है. साथ ही, विस्तार करने के लिए उन्हें सरकार से मंजूरी नहीं
लेनी होगी. लिहाजा ऐसे में नए प्लांट भी लगेंगे और रोजगार के अवसर भी
बढ़ेंगे. सामान्य भाषा में समझें
तो किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश यानी एफडीआई कहलाता है. ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश
की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा
लगता है.
आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा
दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना
पड़ता है. इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता
है. एफडीआई से विदेशी
निवेशक और निवेश हासिल करने वाला देश, दोनों को फायदा होता है. निवेशक को
यह नए बाजार में प्रवेश करने और मुनाफा कमाने का मौका देता है. विदेशी
निवेशकों को टैक्स छूट, आसान नियमों, लोन पर कम ब्याज दरों और बहुत सी
बातों से लुभाया जाता है. एफडीआई से घरेलू अर्थव्यवस्था में नई पूंजी, नई
प्रौद्योगिकी आती है और रोजगार के मौके बढ़ते हैं और इस तरह के बहुत से
फायदे होते हैं.
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