केंद्रीय
वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने 03 फरवरी 2018 को लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के
लिये क्रिसिल और सिडबी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित भारत का पहला
सेंटीमेंट इंडेक्स क्रिसिडेक्स (CriSidEx) को जारी किया. क्रिसिडेक्स
एक सम्मिश्रित इंडेक्स है जिसे 8 अलग-अलग सूचकांकों को मिला कर तैयार किया
गया है और यह लघु एवं मध्यम क्षेत्र के बारे में व्यापारिक सोच को 0
(बिलकुल ही नकारात्मक) से 200 (पूर्ण रूप से सकारात्मक) के पैमाने पर मापता
है. नवंबर-दिसंबर 2017 में 1100 लघु एवं मध्यम इकाइयों से मिली जानकारी के
आधार पर इन मानकों को तय किया गया था.
क्रिसिडेक्स
में दो सूचकांक होंगे, एक उस 'तिमाही' के लिये होगा जिसमें कि सर्वेक्षण
किया जायेगा जबकि दूसरा 'अगली तिमाही' के लिये होगा. लेकिन दूसरे सूचकांक
को कई चरणों में सर्वे करने के बाद मिले आंकड़ों के आधार पर विकसित किया
जायेगा जो कि समय निरपेक्ष श्रृंखला के आंकड़े मुहैया करायेगा. क्रिसिडेक्स
का एक अहम फायदा यह होगा कि इससे मिली जानकारी किसी संभावित कठिनाई और
उत्पादन श्रृंखला में परिवर्तन के बारे में सूचना देगी जिससे बाजार की
कार्यकुशलता बढ़ेगी. इसके अलावा आयातकों और निर्यातकों की सोच के बारे में
जानकारी जुटाकर यह विदेशी व्यापार के बारे में कदम उठाने के लिये जरूरी
संकेत भी मुहैया करायेगा.
इस
अवसर पर अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा कि लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म
उद्योगों की भूमिका अर्थव्यवस्था के लिये बेहद महत्वपूर्ण है और सरकार
द्वारा पिछले 2 सालों में उठाये गये कदमों की वजह से इस क्षेत्र का औपचारिक
अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण बढ़ा है. रोजगार
सृजन में लघु-मध्यम-सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र की अहम भूमिका के बारे में
श्री जेटली ने कहा, एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. यह
क्षेत्र देश में रोजगार मुहैया कराने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक
है और विशाल जनसंख्या के लिये जहां पर सरकारी क्षेत्र और विशाल उद्योगों
में रोजगार की सीमित संभावना है वहां पर यह एक ऐसा क्षेत्र जहां न केवल लोग
अपनी उद्यमशीलता का प्रदर्शन कर उपयोगिता बढ़ाने की प्रक्रिया का एक
हिस्सा बनते हैं बल्कि इस प्रक्रिया के दौरान रोजगार प्रदाता भी बन जाते
हैं और यही वजह है कि विनिर्माण क्षेत्र और व्यापार के क्षेत्र में सबसे
ज्यादा नौकरियां इसी सेक्टर में पैदा होती हैं. वित्त
मंत्री ने जोर दिया कि पिछले दो वर्षों में बुनियादी सुधारों की एक
श्रृंखला से गुजरने के बाद अर्थव्यवस्था में एकीकरण का दौर चल रहा है और इस
एकीकरण के दौर में भी इसका नेतृत्व लघु-मध्यम-सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र के
द्वारा किया जायेगा।
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