भारत और फ्रांस के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास‘ वरूण-18’ की शुरुआत 19 मार्च को अरब
सागर में गोवा तट के पास हुई, जिसमें पनडुब्बी- रोधी, हवाई रक्षा और अलग-
अलग रणनीतियों वाले अभ्यास भी शामिल होंगे. फ्रांसीसी नौसेना का पनडुब्बी-
रोधी युद्ध पोत‘ ज्यां डी वियने’, भारतीय नौसेना का पोत‘ आईएनएस मुंबई’ और
युद्ध पोत‘ आईएनएस त्रिखंड’ अभ्यास में हिस्सा ले रहे पोतों में शामिल हैं. भारतीय नौसेना की पनडुब्बी‘ कलवरी’, पी8-1 और‘ डॉर्नियर’ समुद्री गश्ती
विमान एवं‘ मिग-29 के’ लड़ाकू विमान भी इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं.
सोमवार को शुरू हुए अभ्यास का पहला चरण 24
मार्च को पूरा होगा. दूसरा चरण अप्रैल में चेन्नई तट के पास होगा और तीसरा
चरण मई में ला रीयूनियन द्वीप के पास होगा. इस अभ्यास के दौरान भारत और
फ्रांस अपने- अपने सशस्त्र बलों के बीच अभियानों से जुड़े तालमेल की
संभावनाएं तलाशेंगे और साझा वैश्विक खतरों को देखते हुए आपसी सहयोग
बढ़ाएंगे.
भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडर रीयर एडमिरल एम ए
हैम्पीहोली ने कहा कि ‘ वरुण-18’ अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण-
पश्चिमी हिंद महासागर सहित तीन समुद्री क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा. अभ्यास में फ्रांस की अगुवाई कर रहे रीयर एडमिरल डिडियर पायएटन ने कहा कि
भारत हिंद महासागर क्षेत्र में फ्रांस का प्रमुख साझेदार है और
अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों की सुरक्षा बरकरार रखने के लिए दोनों देशों
के बीच समुद्री सहयोग काफी अहम है.
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