केन्द्र सरकार ने करोड़ों के घोटाले कर देश से भाग जाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर
ली है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक अपराध कर फरार होने वालों से निपटने
के लिए विधयेक को मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी. जेटली ने कहा, 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल
2018 के तहत भगोड़ों की संपत्ति जब्त हो सकेगी. इसमें बेनामी संपत्ति भी
शामिल है.' वित्त मंत्री ने कहा, 'इस बिल में भारत के बाहर की संपत्तियों को जब्त
करने का भी प्रावधान होगा, लेकिन इसके लिए वहां की सरकार के सहयोग की
आवश्यकता होगी.' उन्होंने बताया, 'मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय वित्तीय
रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) की स्थापना को मंजूरी दी है. NFRA ऑडिटिंग
पेशे के लिए एक स्वतंत्र नियामक के रूप में कार्य करेगी जो कंपनी अधिनियम
2013 में लाया गया महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक था. यह निकाय सूचीबद्ध
कंपनियों के साथ साथ बड़ी असूचीबद्ध कंपनियों की आडिट पर गौर करेगा.
एनएफआरए के तहत चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और उनकी फर्मों की सेक्शन 132 के तहत
जांच होगी.'
विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे कई आर्थिक अपराधियों के देश से बाहर खिसक
जाने के बीच यह कमद उठाया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस
विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी गई. विधेयक को बजट सत्र के दूसरे चरण में
पेश किया जा सकता है. मध्यावकाश के बाद संसद का सत्र पांच मार्च से शुरू
होने वाला है. इस विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जो कि उन आर्थिक
अपराधियों पर लागू होंगे जो विदेश भाग गए और भारत लौटने से इनकार करते हैं.
यह प्रावधान 100 करोड़ रुपए से अधिक की बकाया राशि अथवा बैंक कर्ज की
वापसी नहीं करने वालों, जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले कर्जदारों और जिनके
खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उन पर लागू होगा. विधेयक में यह भी प्रावधान है कि ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी की संपत्ति
को उसके दोषी ठहराये जाने से पहले ही जब्त किया जा सकेगा और उसे बेचकर कर्ज
देने वाले बैंक का कर्ज चुकाया जायेगा. इस तरह के
आर्थिक अपराधियों के मामले की सुनवाई मनी लांड्रिंग कानून के तहत होगी.
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