देश
में निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने मंगलवार को निर्यात
निरीक्षण परिषद द्वारा डिजिटल पहल की शुरूआत की, जिसके बाद माइक्रो, लघु और
मझौले उद्यमों (एमएसएमई) को वैश्विक मूल्य श्रृंखला स्तर का हिस्सा बनने
के बेहतर अवसर और उम्मीद है. केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश
प्रभु ने सभी क्षेत्रों में व्यापार करने में आसानी के लिए कुशल और
पारदर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने की पहल की शुरूआत की. सभी क्षेत्रों (सेक्टर) में होने वाले कारोबार में सुगमता के लिए
त्वरित, दक्ष एवं पारदर्शी सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से संपूर्ण
निर्यात खाद्य पदार्थ श्रृंखला को इस डिजिटल प्लेटफॉर्म में एकीकृत किया
गया है. प्राथमिक उत्पादन, चेन कैच, एक्वाकल्चर पौंड, डेयरी फॉर्म और
मधुमक्खी पालन गृह आपस में
जुड़े हुए हैं.
एक प्रयोगशाला, एक आकलन पोर्टल समस्त हितधारकों जैसे कि प्रत्यायन
निकायों, नियामकों और प्रयोगशालाओं को एक साझा प्लेटफॉर्म पर एकजुट करके
एकीकृत दृष्टिकोण सुलभ कराता है. निर्यात अलर्ट निगरानी पोर्टल उन गैर-अनुपालन पर करीबी नजर रखता है,
जिसके बारे में आयातक देशों द्वारा सूचित किया जाता है. इस पोर्टल के जरिए
अलर्ट के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा एवं जैव सुरक्षा में आरंभिक प्रमाणन से
जुड़े एकाधिक संगठनों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की निगरानी भी की जा
सकती है. हालिया विकास के संबंध में केएनएन से बात करते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन
एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी
अजय सहाय ने कहा कि भारतीय निर्यात की मदद करने के लिए इनिशिएटिव्स एक बड़ा
कदम है और इस क्षेत्र में शामिल एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा. सहाय ने आगे कहा कि डिजिटल की जा रही प्रक्रियाएं विश्वसनीयता लाने में
मदद करेगी और वैश्विक उत्पादक श्रृंखलाओं में भारतीय उत्पादों को एकीकृत
करेगी.
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