सामाजिक कार्यकर्ता और सुलभ शौचालय के प्रणेता बिंदेश्वर को संस्कृति और
समाज के उत्थान में उनके योगदान के लिए बुधवार को जापान के प्रतिष्ठित
सम्मान निक्की एशिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सुलभ इंटरनेशनल के
संस्थापक बिंदेश्वर पाठक को सुलभ शौचालय का आविष्कार करने के लिए यह सम्मान
दिया गया है. सुलभ शौचालय में दो खड्डों या हौज का उपयोग बारी-बारी से
किया जाता है. शौचालय इस पद्धति से बनाई जाती है कि भरे हुए खड्डे में जमा
पदार्थ कंपोस्ट में परिणत हो जाता है. यह कम लागत से निर्मित व पर्यावरण के
अनुकूल शौचालय है जिसके जरिए उन्होंने शौचालय निर्माण के क्षेत्र में एक
क्रांति ला दी.
निक्की इंक के प्रेसिडेंट नाओतोषी ओकादा ने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक को यह पुरस्कार प्रदान किया. पाठक
से पहले यह अवार्ड भारत में जिन लोगों को मिला है उनमें पूर्व
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. मूर्ति शामिल
हैं. निक्की इंड के जापानी भाषा में प्रमुख अखबार की 120वीं वर्षगांठ पर 1996 में निक्की एशिया पुरस्कार शुरू किया गया. पुरस्कार ग्रहण करते हुए पाठक ने कहा कि वह यह पुरस्कार समाज के दबे-कुचले लोगों को समर्पित करते हैं. उन्होंने
कहा, यह अवार्ड विशेष रूप से एशिया और सामान्य रूप से विश्व में समाज की
सेवा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता में एक और मील का पत्थर होगा.
पुरस्कार प्रदान करते हुए अवार्ड कमेटी के अध्यक्ष फुजियो
मिताराई ने कहा कि पाठक को यह अवार्ड उनके देश में सफाई की दुरवस्था और
भेदभाव जैसी दो बड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए दिया जा रहा है. दो
अन्य पुरस्कार विजेताओं में चीन के पर्यावरणविद मा जून और वियतनाम के
चिकित्सक एनगुयेन थान्ह लीम शमिल थे. जून को इंटरनेट की शक्ति का इस्तेमाल
कर स्वच्छ उद्योग का बढ़ावा देने के लिए और लीम को बच्चों के लिए
महत्वपूर्ण औषधि तैयार करने के लिए दिया गया.
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