विश्वभर में 03 दिसंबर 2018 को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस मनाया गया. इस दिवस का विषय – दिव्यांग लोगों के समावेशी, समान और सतत विकास को सशक्त करने पर केंद्रित है. इस दिवस का उद्देश्य दिव्यांग लोगों के बेहतर भविष्य के लिए प्रयासरत रहना भी है. आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है. इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है. दिव्यांग लोगों के प्रति सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र हर साल 03 दिंसबर को 'विश्व दिव्यांग दिवस' मनाता है. हर साल इससे संबंधित अलग-अलग थीम रखी जाती है.
इस दिवस का आयोजन वर्ष 1992 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया जा रहा है. इस दिवस का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों की दिक्कतों को समझना, उनके अधिकारों के लिए कार्य करना तथा उन्हें सशक्त बनाना है. विकलांगों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2006 में 'विकलांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन' को अपनाया. कुल मिलाकर 160 देशों ने कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, हमारे देश में दिव्यांगजों की संख्या 2.68 करोड़ हैं. दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण हेतु योजनाओं और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक नये विभाग का शुभारंभ वर्ष 2012 में किया गया. दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई नई योजनाएं और कार्यक्रमों की भी शुरूआत की गई है. दिव्यांगजनों से भेदभाव किए जाने पर दो साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. भारतीय कानून में इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है. पहले दिव्यांगजनों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है.
दुनिया में आज हज़ारों- लाखों व्यक्ति विकलांगता का शिकार है. विकलांगता अभिशाप नहीं है क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाये तो विकलांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है. विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मजाक बनाना, उन्हें कमज़ोर समझना और उनको दूसरों पर आश्रित समझना एक भूल और सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदराना व्यवहार है. हम इस बात को समझे कि उनका जीवन भी हमारी तरह है और वे अपनी कमज़ोरियों के साथ उठ सकते है. आपके आस पास ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपनी विकलांगता के बाद भी बहुत से कौशल अर्जित किये है. दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलेंगे, जो बताते है कि सही राह मिल जाये तो अभाव एक विशेषता बनकर सबको चमत्कृत कर देती है.
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