इंदु शेखर झा को 21 जनवरी 2019 को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) का सदस्य नियुक्त किया गया. केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर के सिंह ने इंदु शेखर झा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इंदु शेखर झा को 04 जनवरी 2019 के आदेश द्वारा केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) का सदस्य नियुक्त किया गया. इससे पहले, वे 2015 से पॉवरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक का पद संभाल रहे थे. केंद्र सरकार ने नवंबर 2015 में पांच साल की अवधि के लिए उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के चैयरमैन और प्रबंध निदेशक के तौर पर नियुक्त किया था. तब से अब तक अपनी दूरदर्शिता और मेहनत के बूते आईएस झा ने पावर ग्रिड को लगातार आगे बढ़ाया है.
इसके अलावा, लालछारलियाना पचुआउ को मिजोरम की ओर से मणिपुर और मिजोरम के लिए संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी) के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. लालछारलियाना पचुआउ को पांच साल की अवधि या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किया गया है, जो मणिपुर और मिजोरम की राज्य सरकारों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के प्रावधानों के अनुरूप है. उन्होंने जुलाई 2013 से मणिपुर और मिजोरम के लिए जेईआरसी में प्रमुख (अभियांत्रिकी) के रूप में काम किया है.
इंदुशेखर झा के पास पॉवर सेक्टर में 35 से अधिक वर्षों का शानदार अनुभव है. उन्होंने 1981 में एनटीपीसी से बतौर ट्रेनी जुड़कर इस सेक्टर में अपना करियर शुरू किया. फिर 1991 में पावरग्रिड की स्थापना के बाद से ही वे इससे जुड़ गए. पावर ग्रिड के साथ काम करते हुए वे अनेक महत्वपूर्ण विभागों का हिस्सा रहे. उन्होंने उत्तर पूर्वी क्षेत्र, इंजीनियरिंग और कंपनी के कॉर्पोरेट मॉनिटरिंग समूह के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया. एनटीपीसी और पावर ग्रिड की विभिन्न परियोजनाओं और कॉर्पोरेट दफ्तरों में काम करते समय वे राष्ट्रीय महत्व की अनेक परियोजनाओं की संकल्पना, प्लानिंग, डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग, निगरानी और क्रियान्वयन जुड़े रहे. इनके अलावा, पावरग्रिड में एपीडीआरपी और आरजीजीवीवाई योजनाओं की प्लानिंग, इंजीनियरिंग और निष्पादन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा विद्युत नियामक आयोग (ईआरसी) अधिनियम, 1998 के प्रावधानों के तहत की गई थी. सीईआरसी विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रयोजन के लिए एक केंद्रीय आयोग है, जिसने ईआरसी अधिनियम, 1998 को निरस्त कर दिया है. आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं जिनमें अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण शामिल हैं जो आयोग के पदेन सदस्य हैं. सीईआरसी के प्रमुख कार्य में केंद्र सरकार की स्वामित्व या नियंत्रित सृजनकारी कंपनियों के प्रशुल्क को विनियमित करना, एक से अधिक राज्यों में बिजली उत्पादन और बिक्री के लिए एक समग्र योजना बनाने वाली अन्य उत्पादक कंपनियों के प्रशुल्क को विनियमित करना तथा बिजली के अंतर-राज्य पारेषण को विनियमित करना और बिजली के इस तरह के पारेषण के लिए प्रशुल्क का निर्धारण करना इत्यादि है.
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