देशभर के 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दरवाजे खुल सकते हैं. देश में 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जो कि किसी प्रतिष्ठान अथवा कंपनी के वेतन रजिस्टर में नहीं आते हैं और उन्हें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी जैसे लाभ प्राप्त नहीं हैं. सरकार इन सभी को समाजिक सुरक्षा देने के लिए ईपीएफओ के तहत लाने की योजना बनाई है. हालांकि, इसके लिए ईपीएफओ को अपने काम करने के तरीके में बड़े बदलाव करने होंगे. नए साल में संगठन को सरकार की महत्वकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को लागू करने पर ध्यान देते हुए सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे.
सामाजिक सुरक्षा संहिता के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है. ऐसे में ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नए माहौल के अनुरूप ढालना होगा क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जाएंगे. यह योजना उन प्रतिष्ठानों में लागू होगी जिनमें एक हजार तक लोग काम करते हैं. ऐसे संस्थानों जहां 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं उनके मामले में सरकार केवल कर्मचारी का ही 12 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि कोष में जमा कराएगी. इस योजना को अमल में लाने के लिए ईपीएफओ एक साफ्टवेयर विकसित करेगा ताकि मिलने वाले लाभ में कहीं कोई गड़बड़ी नही हो.
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा की 2021 में ईपीएफओ का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) पर होगा जिसके तहत नई नियुक्तियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा. चंद्रा ने कहा, सेवाओं की डिलीवरी के लिए अन्य प्रयास भी जारी रहेंगे. लेकिन मुख्य ध्यान एबीआरवाई के तहत रोजगार सृजन पर होगा. इस माह की शुरुआत में केन्द्र सरकार ने एबीआरवाई को मंजूरी दी. इस योजना का मकसद आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देना है. योजना के तहत 2020 से 2023 के बीच 22,810 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे. एबीआरवाई योजना के तहत एक अक्तूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 की अवधि में काम पर रखे जाने वाले नए कर्मचारियों के लिये सरकार भविष्य निधि में उनके कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से दिए जाने वाले 12 प्रतिशत योगदान का भुगतान करेगी. 24 प्रतिशत की यह कुल राशि कर्मचारी भविष्य निधि कोष में दो साल तक सरकार जमा कराएगी.
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